जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज की मान्यता और गड़बड़ियों को लेकर गुरुवार यानी 24 जुलाई को सुनवाई हुई। न्यायालय ने नर्सिंग काउंसिल (MPNRC) के पोर्टल को लाइव देखा, इसके साथ ही फर्जी मार्कशीट को भी पकड़ा। कोर्ट ने एमपी ऑनलाइन पोर्टल को निर्देश दिए हैं कि नर्सिंग काउंसिल के ऑनलाइन डाटा में कोई बदलाव ना होने दें। वहीं इस पूरे मामले की जांच के लिए CBI को निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट के एमपी ऑनलाइन को निर्देश नर्सिंग से संबंधित कोई भी डेटा से ना हो छेड़छाड़।

कोर्ट रूम में खुली MPNRC पोर्टल

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नर्सिंग और पैरामेडिकल की मान्यता और अनियमितताओं को लेकर सुनवाई हुई। इस सुनवाई में मार्कशीट में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। याचिकाकर्ता और लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने कोर्ट में सेंधवा स्थित एक नर्सिंग कॉलेज के फर्जी दस्तावेज पेश किए। उन्होंने आरोप लगाया कि CBI जांच में कॉलेज के दस्तावेज सही पाए गए और सत्र 2024-25 के लिए मान्यता मिल गई। वहीं कॉलेज की फैकल्टी की मार्कशीट फर्जी पाई गई.इस पर कोर्ट में सीबीआई ने जवाब देते हुए कहा कि जो मार्कशीट पेश की गई है, वह रिकॉर्ड में किसी और नाम से है। जब कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा की आपको मार्कशीट कहां से मिली। याचिकाकर्ता ने नर्सिंग काउंसलिंग की वेबसाइट लाइव ओपन करके बताई, जिसमें प्रमाण सत्य पाए गए।

कोर्ट ने एमपी ऑनलाइन को दी चेतावनी

इस मामले में हाई कोर्ट ने एमपी ऑनलाइन को निर्देश दिया कि नर्सिंग काउंसिल के किसी भी डाटा से छेड़छाड़ ना की जाए। न्यायालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आदेश का उल्लंघन किया जाएगा तो भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया जाएगा।

CBI को निर्देश दिए गए

हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश देते हुए कहा कि न्यायालय में पेश किए गए दस्तावेज की एक कॉपी याचिकाकर्ता को भी सौंपी जाए। वहीं सबसे हैरत की बात है कि CBI की दो बार की जांच के बाद भी फर्जी दस्तावेज नहीं पकड़े गए।