घर में कलह, तनाव या तंगी का कारण कहीं वास्तु दोष तो नहीं? कैसे करें इसकी पहचान?
हर कोई चाहता है कि उसका घर खुशहाल हो, परिवार में मेल-जोल बना रहे और बिना वजह की टेंशन न हो, लेकिन कई बार बिना किसी बड़ी वजह के घर में कलह, बीमारी, पैसों की तंगी या मानसिक अशांति बनी रहती है. ऐसे में लोग सोचते हैं कि सब कुछ सही होते हुए भी परेशानी क्यों है? यही वो जगह है जहां वास्तु शास्त्र की जानकारी काम आती है. वास्तु एक ऐसी विद्या है जो हमें बताती है कि घर का कौन-सा कोना किस ऊर्जा से जुड़ा है और अगर वहां कुछ गड़बड़ी है, तो उसका असर सीधा हमारे जीवन पर पड़ता है. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे घर की दिशा, चीजों की जगह और ऊर्जा का बहाव हमारे जीवन की दशा तय करता है. इस बारे में बता रहे हैं
वास्तु दोष क्या है और यह परेशानियां कैसे लाता है?
वास्तु दोष का मतलब होता है किसी दिशा या जगह पर गलत निर्माण या गलत चीज का रखा जाना. जब घर की रचना प्राकृतिक ऊर्जा के नियमों के खिलाफ होती है, तो वह जगह नकारात्मक ऊर्जा को जन्म देती है. यही नकारात्मकता धीरे-धीरे घर में क्लेश, तनाव, बीमारी और रुकावटों का कारण बनती है.
उदाहरण के तौर पर, अगर आग्नेय दिशा यानी ईस्ट-साउथ-ईस्ट में पानी का कोई स्रोत है, जैसे बोरिंग या वॉशिंग एरिया, तो वहां फायर और वाटर एलिमेंट आपस में टकरा जाते हैं. इसका सीधा असर लीवर और क्रोध पर देखा जाता है. इसी तरह अगर उत्तर दिशा में भारी सामान रखा हो तो पैसे के आने में रुकावट आती है.
वो संकेत जो बताते हैं कि घर में वास्तु दोष है
1. घर में अक्सर छोटे-छोटे झगड़े होते हैं.
2. बिना वजह बीमारियाँ बनी रहती हैं.
3. मेहनत के बाद भी पैसा नहीं टिकता हैं.
4. बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता हैं.
5. परिवार के सदस्यों में आपसी दूरी या अकेलापन महसूस होता है.
अगर इनमें से दो या तीन बातें भी रोज़मर्रा में दिखें, तो यह संकेत है कि घर में कुछ न कुछ ऊर्जा का संतुलन बिगड़ा हुआ है.
समस्या का समाधान कैसे करें?
सबसे पहला कदम है समस्या की जड़ को समझना हैं. इसके लिए घर की सभी दिशाओं को जांचें – क्या कोई भारी सामान उत्तर में रखा है? क्या कोई पानी का स्रोत दक्षिण-पूर्व में है? क्या उत्तर-पूर्व की दिशा बंद है या वहां गंदगी है? ऐसे सवालों से ही असली वजह सामने आती है.
इसके बाद कुछ छोटे लेकिन असरदार उपाय किए जा सकते हैं:
1. उत्तर दिशा में आईना लगाना (अगर वह खाली हो).
2. अग्नि कोण में गैस या दीया जलाना.
3. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को साफ और हल्का रखना.
4. रोज़ सुबह घर में घंटी या शंख की ध्वनि से ऊर्जा को सक्रिय करना हैं.