हवन सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम है जो घर और मन दोनों को पवित्र करता है. इसमें अग्नि को साक्षी मानकर देवी-देवताओं को विशेष सामग्री अर्पित की जाती है, जिससे निकलने वाली ऊर्जा हमारे आस-पास के माहौल को सकारात्मक बना देती है, लेकिन बहुत से लोग हवन करने के बाद उस कुंड को कहीं भी रख देते हैं या फिर उसे नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसा करना वास्तु के अनुसार ठीक नहीं माना जाता है. वास्तु शास्त्र में पूजा-पाठ से जुड़ी हर चीज को खास जगह पर रखने की बात कही गई है, अगर आप चाहते हैं कि हवन से बनी ऊर्जा का असर आपके घर में बना रहे, तो हवन कुंड को लेकर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

हवन कुंड का महत्व
हवन कुंड को अग्नि का आसन माना जाता है. हवन के समय जो अग्नि प्रज्वलित की जाती है, उसमें देवताओं को बुलाया जाता है, और उन्हें विशेष सामग्री अर्पित की जाती है. इस प्रक्रिया में एक खास ऊर्जा बनती है, जो न केवल वातावरण को बल्कि घर के हर कोने को पवित्र करती है. इसलिए हवन के बाद भी इस कुंड को सम्मान और ध्यान के साथ रखना चाहिए.
किस दिशा में रखें हवन कुंड?
वास्तु शास्त्र के अनुसार हवन कुंड को अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना गया है. यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है, और इसी कारण इसमें रखी गई चीजें ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती हैं. इस दिशा में हवन कुंड रखने से घर में पॉजिटिव वाइब्स बनी रहती हैं, और समृद्धि बढ़ती है.

यदि आप इसे अपने पूजा घर में रखना चाहते हैं, तो आप इसे पूर्व दिशा में भी रख सकते हैं, क्योंकि यह दिशा भी सूर्य और प्रकाश से जुड़ी है. बस यह ध्यान रखें कि जहां भी रखें, वहां सफाई बनी रहे और कुंड को ढक कर रखें.

किस जगह न रखें हवन कुंड?
हवन कुंड को पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखना ठीक नहीं होता है. इन दिशाओं को वास्तु में नकारात्मकता से जुड़ा माना जाता है. यहां रखने से हवन की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घट सकता है, और इसका उल्टा असर भी हो सकता है. इसीलिए इन दिशाओं में रखनें से बचना चाहिए.

क्या ध्यान रखें?
1. अगर आपका हवन कुंड तांबे या पीतल का है और आप उसे दोबारा उपयोग में लाना चाहते हैं, तो उसे अच्छे से साफ करें और स्वच्छ कपड़े से ढककर रखें.
2. अगर कुंड मिट्टी या लकड़ी का है ,और एक बार इस्तेमाल करने के बाद उसे दोबारा उपयोग नहीं करना है, तो इसे किसी पवित्र स्थान पर गाड़ना या बहाना बेहतर होता है.
3. कुंड को कभी भी गंदे या अपवित्र स्थान के पास न रखें. इससे बनी ऊर्जा कमजोर हो जाती है.